परी रानी लौट कर चली गई अपने घर। परी रानी लौट कर चली गई अपने घर।
वापसी पर वापसी पर
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता
पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके..... पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके.....
तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही ये शिक्ष तनिक भी न हम घबराएं दे और शान्त मन परीक्षा, सदा ही पढ़ी और सुनी है हम सबने ही...
वो जो झील को अपनी दोनों आँखों में रखती है , वो ही तो गुलाबों को अपने दोनों रूख़ वो जो झील को अपनी दोनों आँखों में रखती है , वो ही तो गुलाबों को अप...